(*समलैंगिकता को वैधानिक मान्यता मिलने और उसपर मनाये जा रहे जलसों और मीडिया एवं बॉलीवुड के सुप्रसिद्ध तारक-तारिकाओं द्वारा उसे महिमा-मण्डित करते देख लेखक कल्पना में समय रथ पर सवार हो सन 2050 में पहुँच गया, जब समाज विकसित होकर सबलैंगिकता को अपना चुका था. वहीं इन समाचारों का बुलेटिन प्रसारित हो रहा था)
कल रात चांदनी चौक** में 200 कि.मी. की रफ़्तार से दौड़ रही दो कारों का पीछा कर पुलिस ने एक कार के चालक को तेज़ गति से गाड़ी चलाने के ज़ुर्म में गिरफ़्तार कर लिया. दूसरी कार बल्ली मारान के रास्ते अजमेरी गेट होते हुए फ़रार हो गयी.
गिरफ़्तार कार चालक के पास एक ऐसी ड्रग भारी मात्रा में पायी गयी जिसके सेवन से एक पुरुष एक साथ 20 पुरुषों को सन्तुष्ट कर सकता है. इस मादक द्रव्य पर पिछले माह सरकार ने प्रतिबन्ध लगा दिया था क्योंकि इसके सेवन से पुरुष किसी महिला के साथ सम्बन्ध कायम करने में सदा के लिए अक्षम हो जाता है. अभी कानून द्वारा केवल उन्हीं ड्रग्स के सेवन की अनुमति है जिनके सेवन से पुरुष अथवा महिला की प्रजनन क्षमता कुछ ही वर्षों के लिए प्रभावित हो, हमेशा के लिए नहीं. ज्ञातव्य है कि पिछले पाँच वर्षों में देश की जनसंख्या तेज़ी से घट रही है और इस विषय में सरकार द्वारा किये जा रहे सभी कदम विफल रहे हैं.
देर रात राज्यसभा में भाषण देते हुए सन्तानोत्पत्ति॓॓ मंत्री ने इस प्रकार के मादक द्रव्यों के प्रसार पर गहरी चिन्ता जताते हुए कहा कि सरकार प्राय: रुकी हुई सन्तानोत्पत्ति को पुनर्जीवित करने के लिए कृतसंकल्प है.
लोक सभा में विपक्ष ने आज सदन की कार्यवाही नहीं होने दी. 17 बार लोकसभाध्यक्ष को शोर शराबे के बीच कार्यवाही कुछ समय के लिए स्थगित करना पड़ा और अन्त में बेबस होकर उन्होंने सदन को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया. विपक्षी सदस्य यह मांग कर रहे थे कि पश्चिमी देशों में हमारे देश से हो रहे बच्चों के पलायन पर रोक लगाने के सम्बन्ध में प्रधानमन्त्री स्वयं वक्तव्य दें. पिछले छह महीनों में बच्चों के अनधिकृत पलायन की 23 घटनाओं की रिपोर्ट की जा चुकी है, किन्तु सरकार इस विषय में चुप है. विपक्ष के नेता गे. व्यभिचारी ने एक प्रैस कॉन्फ़्रेंस को सम्बोधित करते हुए कहा कि जहां एक ओर देश में अवयस्क बालक-बालिकाओं की संख्या कुल जनसंख्या का मात्र 4% रह गयी है, वहां इस प्रकार से बच्चों का पलायन चिन्ताजनक है. इस विषय में उन्होंने एक उच्चस्तरीय जांच आयोग के गठन की मांग की.
इस विषय में जब जनसंख्या विस्तार॓॓ मन्त्री से बात की गयी तो उन्होंने विपक्ष पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार पड़ोसी गरीब देशों से बच्चे भारत में मंगवाने का प्रयास कर रही है. विदेशों से बच्चे हमारे देश में आएं इसे बढ़ावा देने हेतु एक कार्ययोजना तैयार की जा रही है जिसके लिए बजट में 30 अरब करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने सूचना दी कि पिछले छह माह में देश में स्वास्थ्य की दशा में सुधार आया है और अब देश में ऐसे व्यक्तियों की संख्या 3.45 प्रतिशत है जिन्हें कोई गुप्त रोग नहीं है. पिछले वर्ष यह संख्या 3.30 प्रतिशत थी.
उधर मानवाधिकार कमीशन के अध्यक्ष ने कमीशन के वार्षिक अधिवेशन को सम्बोधित करते हुए सरकार से मांग की है कि सरकार मादा पशुओं में सबलैंगिकता उत्पन्न करने सम्बन्धी ड्रग्स के अनुसंधान कार्य में तेज़ी लाये. इस सम्बन्ध में सबलैंगिक महिला मोर्चे का एक प्रतिनिधिमण्डल मानवाधिकार मन्त्री से भी मिला था और उनका ध्यान सबलैंगिक स्त्रियों की इस व्यथा की ओर आकृष्ट किया था कि जहां एक ओर सबलैंगिक पुरुष तो मादा पशुऒं के साथ शारीरिक सुख प्राप्त कर लेते हैं, वहीं स्त्रियां इस सुख से अभी तक वंचित हैं, यद्यपि इस विषय में पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं कि पुरुष एवं महिलाएं दोनों जैनेटिक कारणों से सबलैंगिक होते हैं, और आदि काल से इस प्रकार के व्यक्ति हमारे समाज में रहे हैं और प्राचीन काल में तो उन्हें समाज में विशेष सम्मान प्राप्त था. मन्त्री महोदय ने उन्हें इस विषय में आवश्यक कार्यवाही का आश्वासन दिया.
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* समलैंगिकता को वैधानिक मान्यता मिलने के बाद अब अगला चरण सबलैंगिकता ही तो हो सकता है!
** दिल्ली के चांदनी चौक में आज 2010 में पैदल चलने के लिए भी जगह नहीं मिलती! समाज में समलैंगिकता के व्याप्त हो जाने से जनसंख्या-वृद्धि कोई समस्या नहीं रह जाएगी, अपितु जनसंख्या प्रसार के उपाय नहीं सूझेंगे! सड़कें खाली और सुनसान मिला करेंगी.
॓ सन 2050 में सन्तानोत्पत्ति एवं जनसंख्या-विस्तार जैसे मन्त्रालय सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण होंगे! अभी, जिन पाश्चात्य देशों में समलैंगिकता का प्रचार-प्रसार हो चुका है, वहाँ व्यभिचार सभी कल्पनीय सीमाएं लांघ चुका है. जिसके परिणामस्वरूप समाज गुप्त रोगों से जूझ रहा है.
- नज़दीक से
विक्रम शर्मा
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