डॉक्टर के आने में विलम्ब होता जा रहा था और रोगियों की भीड़ बढ़ती जा रही थी.
सबसे पहले आये हुए रोगियों की सहनशक्ति जवाब देने लगी थी. चार-पाँच वर्ष के एक बालक की बालसुलभ चंचलता उससे अजीब-अजीब हरकतें करवा रही थी. माँ की गोद में वह सिमट नहीं रहा था. कभी वह प्रतीक्षारत व्यक्तियों के लिए रखी पत्रिकाओं को उलट-पुलट देता तो कभी दरवाज़ा खोलकर बाहर निकल जाता. उसकी माँ उसके पीछे-पीछे दीवानों की भाँति भागती फिर रही थी. अचानक उस बच्चे के हाथ में एक इस्तेमाल किया जा चुका सीरिंज देख कर उसकी माँ चीख उठी. झपट कर उसने बच्चे के हाथ से वह सीरिंज छीना और एक थप्पड़ उसकी गाल पर रसीद कर दिया. बच्चा ज़ोर से रो पड़ा.
पास बैठे एक युवा युगल ने एक-दूसरे से बातचीत शुरू कर दी. युगल छोटी शॉर्ट्स और बनियान-नुमा टी-शर्ट्स पहने था और अंग्रेज़ी में बातचीत कर रहा था. युवक कह रहा था, ".. जल्द ही कानून आने वाला है. बच्चों पर ऐसी ज़्यादती करने वाले माता-पिता को जेल की सैर करनी पड़ेगी."
उनके पास बैठे एक सज्जन बोले, "बेड़ा गर्क कर दो देश का. बरबाद कर दो औलाद को ऐसे कानूनों से."
युवती ने उत्तर दिया, "पश्चिमी देशों को देखा है? वहाँ ऐसे कानून पहले से हैं, और कितनी तरक्की की है उन देशों ने!"
एक और सज्जन बोले, "क्या तरक्की की है? रिश्ते खत्म हो गये हैं वहाँ. कोई मूल्य नहीं हैं वहाँ जीवन के. इसे तरक्की कहते हो?"
एक बुज़ुर्ग बोले, "अब तो भारत में भी अमरीका बनेगा. पूरी आज़ादी रहेगी. लड़के-लड़के और लड़की-लड़की में शादियाँ होंगी. एक गोत्र में शादियाँ होंगी. माँ-बाप कुछ बोलेंगे तो राक्षस कहलाएंगे. जेल होगी उन्हें!"
एक अधेड़ व्यक्ति ने उन बुज़ुर्ग को शान्त कराते हुए कहा, "आप अमेरिका को गाली मत दीजिए. अमेरिका वाले तो अब इस आज़ादी के खोखलेपन से तंग आ चुके हैं. वे तो अब भारतीय संस्कृति को अपना रहे हैं. भारतीय मूल्यों की कद्र करते हैं वे. कर लेने दीजिए इन मॉडर्न लोगों को भी कुछ बरबादी. जब समझ आ जाएगी, तो संभल जाएंगे!"
शॉर्ट्स वाली युवती झल्ला कर बोली, "कुछ नहीं हो सकता इन पिछडों का. ये जाहिल के जाहिल ही रहेंगे."
रिसेप्शनिस्ट ने एक रोगी का नाम पुकारा. डॉक्टर साहिब आ गये थे.
बच्चा अपनी जाहिल माँ के सीने से लगकर इस गरमा-गरम बहस से बेखबर चैन की नींद सो रहा था.
नज़दीक से
-विक्रम शर्मा
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