जन्म कानपुर में हुआ, शिक्षा मुख्यतः दिल्ली में. दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक और पंजाब विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी में स्नातकोत्तर हूं. तदनंतर पंजाब विश्वविद्यालय एवं भारतीय विद्याभवन से प्रबंधन एवं पत्रकारिता में तीन स्नातकोत्तर डिप्लोमा भी किए.
संसदीय कार्य विभाग, भारत सरकार, इंडियन बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, एक आई टी सम्बन्धित कंपनी एवं दो रियल एस्टेट कंपनियों में भी कार्य किया, जिनमें से एक सरकारी है.
आजकल घर में अपने 3 वर्ष के नाती को खिला रहा हूं, और वह मुझे! ❤️
मैंने स्वयं को घुमक्कड़ नहीं समझा, यद्यपि घूमना मुझे पसंद है. अभी अपना परिचय लिखते हुए ही मुझे यह ज्ञात हो रहा है कि अरे, मैं भी घुमक्कड़ हूं! 🙂
पिछले एक वर्ष में ही स्टेच्यू ऑफ यूनिटी, केवड़िया के साथ अहमदाबाद एवं गुजरात के अन्य शहरों में पुनर्भ्रमण किया. भुवनेश्वर एवं जगन्नाथपुरी का भ्रमण किया रथयात्रा के समय. इसी वर्ष कुमाऊं की दो सप्ताह की यात्रा में कैंची धाम यात्रा के साथ, नैनीताल, भीमताल, सात्ताल, नौकुचियाताल, मुक्तेश्वर, रानीखेत, सोमेश्वर, कौसानी, बागेश्वर, बिनसर के जंगल, कसार देवी, चितई गोलू, जागेश्वर धाम की यात्रा की. इससे पूर्व जिम कॉर्बेट आदि क्षेत्रों में भी जा चुका हूं.
गढ़वाल क्षेत्र की तो अनेक यात्राएं की हैं, हरिद्वार, ऋषिकेश, नीलकंठ महादेव आदि पर्यटन स्थलों का रसास्वादन किया है.
बद्रीनाथ, द्वारका, जगन्नाथपुरी एवं रामेश्वरम चारों धाम कर चुका हूं.
नौ देवी दर्शन कर चुका हूं: चंडी देवी, मनसा देवी, नैना देवी, चिंतपूर्णी, ब्रजरेश्वरी देवी - कांगड़ा, चामुंडा देवी, ज्वाला देवी एवं वैष्णो देवी.
12 ज्योतिर्लिंगों में से आठ सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, रामेश्वर ज्योतिर्लिंग एवं घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शनलाभ पा चुका हूं.
अन्य प्रमुख तीर्थस्थल जहां मस्तक झुका चुका हूं, उनमें से जो स्मरण हैं, वे हैं, वृंदावन, मथुरा, तिरुपति बालाजी, महाबलीपुरम, कांचीपुरम, पद्मनाभास्वामी मंदिर त्रिवेंद्रम, मीनाक्षी मंदिर मदुरई, मां कामाख्या मंदिर, जगन्नाथ मंदिर पुरी आदि.
मां गंगा, मंदाकिनी, अलकनंदा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, हुगली, कावेरी, नर्मदा, साबरमती, तापी, व्यास, सतलुज, रावी, तुंगभद्रा, झेलम, तवी, शिप्रा, कोसी, सरयू, गोमती आदि पवित्र नदियों के जल का आचमन किया है अथवा दर्शन तो किया ही है.
दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, अहमदाबाद, मुजफ्फरनगर, गाज़ियाबाद में नौकरी/व्यवसाय कर चुका हूं. कलकत्ता, बंगलुरु, मैसूर, लखनऊ, भोपाल, श्रीनगर, जम्मू, अमृतसर, चंडीगढ़, देहरादून, आगरा, करनाल, कुरुक्षेत्र आदि अनेक शहरों में अनेक बार जा चुका हूं.
रमणीक पर्वतीय स्थलों में से कश्मीर, लेह लद्दाख, कारगिल, मीनामर्ग, गुलमर्ग, सोनमर्ग, पहलगाम, कुल्लू, मणिकर्ण, मंडी, मनाली, रोहतांग पास, शिमला, डलहौजी, धर्मशाला, मैकलोडगंज, खजियार, पालमपुर, माउंट आबू, लोनावला, दार्जिलिंग, ऊटी, कोडईकनाल, नंदी हिल्स, मसूरी, धनौल्टी, चंबा, टिहरी, औली, पंचमढ़ी जैसे स्थलों में प्रकृति को निहार चुका हूं.
जुहू, चौपाटी तक ही सीमित नहीं हैं मुंबई के समुद्र तट. नाम स्मरण नहीं, परंतु मुंबई में मैंने दो समुद्र तट गोवा समान सुन्दर भी पाए थे. समुद्र तट पर रहना मुझे बहुत पसंद है. मेरा सबसे पसंदीदा समुद्र तट है त्रिवनंतपुरम में कोवलम बीच. इसके अतिरिक्त गोवा के अनेक समुद्र तट, कन्याकुमारी, चेन्नई में मरीना बीच, कोवलंग बीच, गोल्डन बीच, महाबलीपुरम बीच, रामेश्वरम का धनुष्कोटि तट, पुरी एवं कोणार्क आदि समुद्र तटों का अनुभव स्मरणीय है. अब गोकर्ण के समुद्र तटों पर समय बिताने की अभिलाषा है.
पश्चिम में जयपुर, पुष्कर, उदयपुर, गिर, जूनागढ़, सूरत, पोरबंदर, पाटन, भावनगर, मोधेरा, सरदार सरोवर डैम, पूना, औरंगाबाद, एलोरा कैलाश मंदिर, शिरडी, शनि शिंगणापुर आदि स्थलों में एक या अधिक बार जा चुका हूं.
मध्यप्रदेश में पंचमढ़ी एवं उज्जैन के अतिरिक्त भोपाल, सांची, भीमबेडका आदि स्थल देख चुका हूं. अवसर मिला तो पूरा मध्यप्रदेश (और राजस्थान) देखने की इच्छा है. मुझे मध्यप्रदेश और राजस्थान के लोग बहुत पसंद हैं.
दक्षिण में ऊपर वर्णित प्रमुख शहरों, समुद्र तटों और मंदिरों के अतिरिक्त हासन, बेलूर, हेलेबिडू, श्रवणबेलगोला, थेक्कड़ी आदि स्थलों का आनंद ले चुका हूं तो उत्तरपूर्व में सिलीगुड़ी, गुवाहाटी, शिलांग, चेरापूंजी आदि मनोरम स्थल मानो बार-बार बुलाते हैं.
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