Thursday, January 5, 2023

घुमक्कड़ी परिचय

जन्म कानपुर में हुआ, शिक्षा मुख्यतः दिल्ली में. दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक और पंजाब विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी में स्नातकोत्तर हूं. तदनंतर पंजाब विश्वविद्यालय एवं भारतीय विद्याभवन से प्रबंधन एवं पत्रकारिता में तीन स्नातकोत्तर डिप्लोमा भी किए.

संसदीय कार्य विभाग, भारत सरकार, इंडियन बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, एक आई टी सम्बन्धित कंपनी एवं दो रियल एस्टेट कंपनियों में भी कार्य किया, जिनमें से एक सरकारी है.

आजकल घर में अपने 3 वर्ष के नाती को खिला रहा हूं, और वह मुझे! ❤️

मैंने स्वयं को घुमक्कड़ नहीं समझा, यद्यपि घूमना मुझे पसंद है. अभी अपना परिचय लिखते हुए ही मुझे यह ज्ञात हो रहा है कि अरे, मैं भी घुमक्कड़ हूं! 🙂

पिछले एक वर्ष में ही स्टेच्यू ऑफ यूनिटी, केवड़िया के साथ अहमदाबाद एवं गुजरात के अन्य शहरों में पुनर्भ्रमण किया. भुवनेश्वर एवं जगन्नाथपुरी का भ्रमण किया रथयात्रा के समय. इसी वर्ष कुमाऊं की दो सप्ताह की यात्रा में कैंची धाम यात्रा के साथ, नैनीताल, भीमताल, सात्ताल, नौकुचियाताल, मुक्तेश्वर, रानीखेत, सोमेश्वर, कौसानी, बागेश्वर, बिनसर के जंगल, कसार देवी, चितई गोलू, जागेश्वर धाम की यात्रा की. इससे पूर्व जिम कॉर्बेट आदि क्षेत्रों में भी जा चुका हूं. 

गढ़वाल क्षेत्र की तो अनेक यात्राएं की हैं, हरिद्वार, ऋषिकेश, नीलकंठ महादेव आदि पर्यटन स्थलों का रसास्वादन किया है.

बद्रीनाथ, द्वारका, जगन्नाथपुरी एवं रामेश्वरम चारों धाम कर चुका हूं. 

नौ देवी दर्शन कर चुका हूं: चंडी देवी, मनसा देवी, नैना देवी, चिंतपूर्णी, ब्रजरेश्वरी देवी - कांगड़ा, चामुंडा देवी, ज्वाला देवी एवं वैष्णो देवी.

12 ज्योतिर्लिंगों में से आठ सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, रामेश्वर ज्योतिर्लिंग एवं घृष्‍णेश्‍वर ज्योतिर्लिंग के दर्शनलाभ पा चुका हूं. 

अन्य प्रमुख तीर्थस्थल जहां मस्तक झुका चुका हूं, उनमें से जो स्मरण हैं, वे हैं, वृंदावन, मथुरा, तिरुपति बालाजी, महाबलीपुरम, कांचीपुरम, पद्मनाभास्वामी मंदिर त्रिवेंद्रम, मीनाक्षी मंदिर मदुरई, मां कामाख्या मंदिर, जगन्नाथ मंदिर पुरी आदि.

मां गंगा, मंदाकिनी, अलकनंदा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, हुगली, कावेरी, नर्मदा, साबरमती, तापी, व्यास, सतलुज, रावी, तुंगभद्रा, झेलम, तवी, शिप्रा, कोसी, सरयू, गोमती आदि पवित्र नदियों के जल का आचमन किया है अथवा दर्शन तो किया ही है.

दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, अहमदाबाद, मुजफ्फरनगर, गाज़ियाबाद में नौकरी/व्यवसाय कर चुका हूं. कलकत्ता, बंगलुरु, मैसूर, लखनऊ, भोपाल, श्रीनगर, जम्मू, अमृतसर, चंडीगढ़, देहरादून, आगरा, करनाल, कुरुक्षेत्र आदि अनेक शहरों में अनेक बार जा चुका हूं.

रमणीक पर्वतीय स्थलों में से कश्मीर, लेह लद्दाख, कारगिल, मीनामर्ग, गुलमर्ग, सोनमर्ग, पहलगाम, कुल्लू, मणिकर्ण, मंडी, मनाली, रोहतांग पास, शिमला,  डलहौजी, धर्मशाला, मैकलोडगंज, खजियार, पालमपुर, माउंट आबू, लोनावला, दार्जिलिंग, ऊटी, कोडईकनाल, नंदी हिल्स, मसूरी, धनौल्टी, चंबा, टिहरी, औली, पंचमढ़ी जैसे स्थलों में प्रकृति को निहार चुका हूं.

जुहू, चौपाटी तक ही सीमित नहीं हैं मुंबई के समुद्र तट. नाम स्मरण नहीं, परंतु मुंबई में मैंने दो समुद्र तट गोवा समान सुन्दर भी पाए थे. समुद्र तट पर रहना मुझे बहुत पसंद है. मेरा सबसे पसंदीदा समुद्र तट है त्रिवनंतपुरम में कोवलम बीच. इसके अतिरिक्त गोवा के अनेक समुद्र तट, कन्याकुमारी, चेन्नई में मरीना बीच, कोवलंग बीच, गोल्डन बीच, महाबलीपुरम बीच, रामेश्वरम का धनुष्कोटि तट, पुरी एवं कोणार्क आदि समुद्र तटों का अनुभव स्मरणीय है. अब गोकर्ण के समुद्र तटों पर समय बिताने की अभिलाषा है. 

पश्चिम में जयपुर, पुष्कर, उदयपुर, गिर, जूनागढ़, सूरत, पोरबंदर, पाटन, भावनगर, मोधेरा, सरदार सरोवर डैम, पूना, औरंगाबाद, एलोरा कैलाश मंदिर, शिरडी, शनि शिंगणापुर आदि स्थलों में एक या अधिक बार जा चुका हूं.

मध्यप्रदेश में पंचमढ़ी एवं उज्जैन के अतिरिक्त भोपाल, सांची, भीमबेडका आदि स्थल देख चुका हूं. अवसर मिला तो पूरा मध्यप्रदेश (और राजस्थान) देखने की इच्छा है. मुझे मध्यप्रदेश और राजस्थान के लोग बहुत पसंद हैं.

दक्षिण में ऊपर वर्णित प्रमुख शहरों, समुद्र तटों और मंदिरों के अतिरिक्त हासन, बेलूर, हेलेबिडू, श्रवणबेलगोला, थेक्कड़ी आदि स्थलों का आनंद ले चुका हूं तो  उत्तरपूर्व में सिलीगुड़ी, गुवाहाटी, शिलांग, चेरापूंजी आदि मनोरम स्थल मानो बार-बार बुलाते हैं. 

कैंची धाम मंदिर दर्शन


कैंची धाम काठ गोदाम से 37 किलोमीटर की दूरी पर शिप्रा नदी, जो थोड़ी ही दूरी पर गरमपानी नामक स्थान पर कोसी नदी में मिल जाती है, के किनारे एक छोटा सा मंदिर प्रांगण है। नीब करोली बाबा के देश विदेश में 108 मंदिर हैं, जिनमें से एक कैंची धाम है जिसकी स्थापना स्वयं बाबा ने वर्ष 1964 में मूलतः हनुमान मंदिर के रूप में की थी। तब से लेकर 1973 में वृंदावन में महाप्रयाण तक उन्होंने अपना दैहिक जीवन कैंची धाम में ही बिताया था. 

बाबा नीब करौली को मानने वालों में विदेशी सेलिब्रिटी भक्त स्टीव जॉब्स और मार्क जुकरबर्ग बड़े नाम हैं. इंटरनेट में बाबा के विषय में जानकारी भरी पड़ी है. 

कैंची धाम के लिए हल्द्वानी से बसें चलती हैं और काठगोदाम तक आते आते प्रायः भर जाती हैं। इसलिए बस में आने वाले यात्री, बेहतर है, हल्द्वानी में ट्रेन से उतर कर बस पकड़ लें। 

टैक्सी से आने वालों के लिए काठगोदाम उतरना बेहतर है क्योंकि यहां से कैंची धाम की दूरी अपेक्षाकृत कम है। इस जानकारी के अभाव में हम काठगोदाम उतरे थे, इसलिए बस का विकल्प हमारे पास था ही नहीं. 

काठगोदाम से कैंची धाम का हैचबैक का किराया 1200 से 1500 रुपये है। मोलभाव करके सीज़न के अनुसार कम भी हो जाता है। हमने स्टेशन पर थोड़ा धैर्य रखा और मात्र 800 रुपये देकर कैंची धाम पहुँच गए वैगन आर में। 

कैंची धाम पर अनेक छोटे छोटे होमस्टे उपलब्ध हैं. इन दिनों आम किराया 1500 से 2000 रुपये चल रहा है। इन होमस्टे की बुकिंग ऑनलाइन हो जाती है। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण कौन सा स्थान आपके लिए उपयुक्त रहेगा, यह देखकर ही पता चल सकता है। 

होमस्टे के नाम पर चल रहे इन होटलों में प्रायः अच्छी सुविधाएं नहीं हैं. OYO रूम्स जैसे व्यवस्थित होटल कुछ दूरी पर हैं. जिनके पास अपनी कार आदि नहीं है उनके लिए दूर ठहरना कष्टकर हो सकता है क्योंकि कैंची में फिलहाल कोई व्यवस्थित transport भी नहीं है. 

कैंची धाम के भीतर भी रहने की व्यवस्था है परन्तु बहुत जटिल है। कमरे धाम के पुराने श्रद्धालुओं की संस्तुति पर ही मिलते हैं। वहां प्रबंधक से तीन दिन तक बाबा और धाम के बारे में हुई बातचीत के आधार पर मेरी राय है कि धाम के भीतर रहने के विषय में जांच पड़ताल करना व्यर्थ है. धाम के सामने और निकट ही अनेक विकल्प हैं. 

हम 

निर्मल होम स्टे 8006817268 

(संपर्क: भारत)

एवं 

मारुति होमस्टे 8449434262

(संपर्क: विनोद) 

में रहे थे. दोनों ही स्थान ठीक ठाक हैं. दोनों में किराया 1500 प्रतिदिन था. 

मंदिर में पूजा, सफ़ाई आदि की व्यवस्था प्रशंसनीय है. प्रातः 7-20 पर और सायं 6-00 बजे आरती होती है. श्रद्धालु भी अनुशासित रहकर दर्शन लाभ करते हैं। 

कैंची धाम के बाहर रेस्टॉरेंट/ढाबे आदि हैं, जहां हर बजट का भोजन मिल जाता है. अनुपम रेस्टोरेंट भोजन के लिए एक बहुत अच्छा स्थान है जहां हर प्रकार का स्वादिष्ट शाकाहारी भोजन मिल जाता है।

#नीब_करोरी_बाबा_के_चार_धाम_की_यात्रा 

कुमाऊँ क्षेत्र में निम्नलिखित चार आश्रम उनके चार धाम कहे जाते हैं. हमने टैक्सी द्वारा इन चारों धामों के दर्शन और नैनीताल के झील में नौका का आनंद एक ही दिन में ले लिया. 

हनुमान गढ़ी के एकदम निकट है नैनीताल का तल्ली ताल. नौका विहार के बाद हमने रिक्शा ली और नैना देवी मंदिर के दर्शन भी किए, जो मल्ली ताल के किनारे बना है और जिनके नाम से नैनीताल को अपना नाम मिला है. रिक्शा /e रिक्शा का किराया मात्र 10 रुपये प्रति व्यक्ति है. झील के किनारे किनारे यह यात्रा पैदल भी की जा सकती है, जिसका अलग ही मज़ा है. नैना देवी मंदिर के साथ ही है नैनीताल का बाज़ार जो घूमने और खाने पीने की असंख्य संभावनाओं से भरा है. 

1. #हनुमान_गढ़ी: नैनीताल के तल्ली ताल छोर के निकट ही एक पहाड़ी पर एक सुंदर और विशाल मंदिर है, हनुमान गढ़ी. इस क्षेत्र में बाबा द्वारा स्थापित यह पहला मंदिर था हनुमान जी का. 

तदनंतर बाबा जी ने 

2. #काकड़ी_घाट

और

3. #भूमियाधार 

में हनुमान जी के मंदिर स्थापित किए. बाबाजी अनन्य भक्त थे हनुमान जी के. 

4. #कैंची_धाम: बाबाजी यहां 1962 में आये थे और 1964 में इस धाम की स्थापना की थी उन्होंने. 

कैंची धाम में हम तीन दिन रुके. सुबह शाम आरती और स्तुति में भाग लिया. बहुत आनंद मिला. मन तो नहीं भरा, परन्तु आगे तो बढ़ना ही था.